Govardhan Puja Kyon Manaya Jata Hai | गोवर्धन पूजा क्यों मनाया जाता है?

Govardhan Puja Kyon Manaya Jata Hai, जैसा कि आप जानते हैं कि दीपावली से एक दिन बाद ही यानी अगले दिन गोवर्धन पूजा का पवित्र पर्व मनाया जाता है इस दिन का शुभ अवसर कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को प्रतिवर्ष पड़ता है

इस उत्सव को हम अन्नकूट उत्सव के नाम से भी जानते हैं इस दिन हम भगवान श्री कृष्णा की याद में गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर उसकी पूजा करते हैं और यह परंपरा द्वापर युग के बाद जब भगवान श्री कृष्ण का अवतार हुआ था तब से ही चलती आ रही है|

गोवर्धन पर्वत के इस पवित्र उत्सव पर भारत में हम सभी लोग क्या करते हैं और इस पर्व को किस प्रकार से मनाते हैं

  • गोवर्धन के इस उत्सव पर हम गोबर की आकृति को बनाकर भगवान श्री कृष्णा और गोवर्धन पर्वत की पूजा आराधना करते हैं
  • इस दिन हम गए और बैलों को सजाकर उन्हें फूल माला पहनकर उनकी पूजा करते हैं और उन्हें प्रसाद स्वरूप मिठाइयां खिलाते हैं तथा सभी लोगों में मिठाइयां वितरित करते हैं
  • इसके अतिरिक्त सभी लोग इस पवित्र पर्व के उपलक्ष पर घरों में मिठाइयां व अन्य प्रकार के पकवान बनते हैं और उन्हें ईश्वर को भोग लगाते हैं तथा साथ ही प्रसाद स्वरूप स्वयं भी ग्रहण करते हैं
  • इस दिन बच्चे पटाखे भी जलते हैं और इसके अतिरिक्त फुलझड़ी जैसी चीज भी जलते हैं जिसके दौरान यह नजारा बहुत ही मनमोहक और सुंदर लगता है|

गोवर्धन पर्वत के प्रसिद्ध पर्व को मनाने का क्या उद्देश्य है या इसके पीछे क्या कथा है? चलिए जानते हैं

गोवर्धन पर्वत के इस पवित्र पर्व को मनाने के पीछे अनेक कहानियां मौजूद हैं जिनमें से एक वास्तविक कहानी यह है कि बहुत ही प्राचीन समय में वृंदावन नाम के एक सुंदर से गांव में भगवान श्री कृष्ण का अवतार हुआ था उसके बाद समय बिता गया और कुछ समय बाद इंद्रदेव को अपनी शक्तियों और अपने कर्तव्य पर अहंकार हो गया था इंद्रदेव के अहंकार को तोड़ने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने एक लीला की थी जो इस प्रकार से हैं

एक दिन इंद्रदेव वृंदावन में 7 दिनों से भी अधिक लगातार वर्षा कर रहे थे जिससे वृंदावन डूब सकता था परंतु भगवान श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र के प्रभाव से वृंदावन के सभी लोग सुरक्षित थे और वृंदावन में एक बूंद भी नहीं पड़ी थी इसके अतिरिक्त भगवान श्री कृष्ण ने अपनी कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर पूरे वृंदावन वासियों की रक्षा की थी और वृंदावन की पुरानी बकवास कुरीतियो को तोड़कर उन्हें सत्य का ज्ञान कराया था

और उन्हें यह बताया था कि आप सभी लोगों को इंद्रदेव को नहीं पूजना चाहिए वे सिर्फ अपने कर्तव्य का पालन करते हैं हमें अपनी प्रकृति की पूजा करनी चाहिए प्रकृति यानी गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए, नदियों की पूजा करनी चाहिए, पेड़ पौधों की पूजा करनी चाहिए क्योंकि उनकी सहायता और सहयोग से ही हमारे जानवरों को चारा मिलती है, स्वादिष्ट जल मिलता है आदि|

और इसका बदला लेने के लिए ही इंद्रदेव ने वृंदावन में 7 दिनों तक लगातार वर्षा की परंतु भगवान श्री कृष्णा सभी वृंदावन वासियों की रक्षा की और गोवर्धन पर्वत के पूजन का एक नए पवित्र अवसर का प्रारंभ किया तभी से आज तक हम गोवर्धन पूजन के इस पवित्र पर्व को मनाते आ रहे हैं|

वर्ष 2023 में गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है

जैसे कि आप जानते हैं कि भारत में 13 नवंबर सोमवार के दिन गोवर्धन पूजा का पवित्र पर्व मनाया जाएगा यदि शुभ मुहूर्त की बात करें तो इसका शुभ मुहूर्त 2:56 से लेकर अगले दिन 14 नवंबर दोपहर 2:36 पर समाप्त होगा

इसके अतिरिक्त गोवर्धन पूजा वर्ष 2023 का शुभ मुहूर्त हम इस प्रकार से भी देख सकते हैं मीडिया खबर के अनुसार गोवर्धन पूजा का शुभ अवसर 14 नवंबर 2023 मंगलवार को 6:45 से लेकर सुबह 8:52 तक रहेगा|

आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि गोवर्धन पूजा के दिन सुबह के समय से ही अनुराधा नक्षत्र का योग होगा और शुभ अवसर की बात करें तो सुबह से लेकर दोपहर 1:57 तक इसका शुभ योग माना जा रहा है उसके बाद आतिगढ़ योग प्रारंभ हो जाएगा जो शुभ नहीं माना जाता है इसलिए आप सभी लोग इस योग के प्रारंभ होने से पहले ही अपनी पूजा को समाप्त कर ले|

गोवर्धन पूजा सही रूप में किस प्रकार से की जानी चाहिए क्या है गोवर्धन पूजा की विधि

  • गोवर्धन पूजा करने के लिए आपको प्राप्त है जल्दी उठकर साफ-सफाई और स्नान करना चाहिए
  • उसके बाद आप स्वच्छ स्थान पर गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति बनाएं और उनके साथ ही वहां पर गाय बछड़े गोप गोपीकाएं जैसी आकृति बनाकर उन्हें रंग आदि से सजा ले
  • उसके बाद शुभ मुहूर्त के समय धूप दीप मिठाई आदि का भोग लगाकर और जल के साथ गोवर्धन पूजा के साथ चक्कर को पूरा करें
  • दीप प्रज्वलित करें और मिठाई आदि का भोग लगे और धूप दीप जलाएं
  • गोवर्धन महाराज की पूजा करें और अपनी मनोकामनाओं को प्रकट करें
  • भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को गाय के शुद्ध दूध से स्नान कारण और कृष्ण का पूजन करें
  • और अंत में अन्नकूट का भोग लगाकर समापन करें|
  • साथ ही पूजा के समापन के बाद प्रसाद का वितरण करें और इस पूजन का आनंद ले|

आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि गोवर्धन पूजा का शुभ आरंभ दुआ प्रयोग में भगवान श्री कृष्ण के अवतार द्वारा किया गया था उन्होंने प्राचीन समय में पशु पक्षियों गए ग्वालो आदि की यानी बृजवासियों की इंद्रदेव के प्रकोप से रक्षा की थी और उन्हें गोवर्धन पर्वत की सहायता से सुरक्षित किया था|