Diwali Par paragraph in hindi, आप सभी को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाए! आज के इस आर्टिकल में हम आपकी सहायता के लिए दिवाली पर पैराग्राफ प्रदान करने जा रहे हैं जिसकी सहायता से आप दिवाली के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं या आपके विद्यालय में आपकी कक्षा अध्यापक द्वारा दिए गए होमवर्क को भी कर सकते हैं चलिए पढ़ते हैं दिवाली पर एक सुंदर और जानकारी से भरा पैराग्राफ|
दीपावली, भारतीय सांस्कृतिक विरासत का एक उज्ज्वल पन्ना और विश्वभर में समर्पित एक महोत्सव है। यह त्योहार न केवल देशवासियों के दिलों को छूता है बल्कि विश्वभर के भारतीय समुदायों में भी आनंद और उत्सव का संगीत बजाता है। ‘दीपावली’ शब्द का अर्थ है ‘दीपों की श्रृंखला’, जो संस्कृत भाषा के सौंदर्यपूर्ण शब्दों से निर्मित है। इसे ‘दिवाली’ या ‘दीवाली’ भी कहा जाता है। यह त्योहार हर वर्ष अक्टूबर और नवंबर के बीच मनाया जाता है, इस बार 2023 में रविवार, 12 नवंबर को मनाया जायगा ।
दीपावली एक प्रकार की सजीव पौराणिक कहानियों का सत्य है, जिसमें धरती पर भगवान गणेश और लक्ष्मी की पूजा का आयोजन होता है। यह त्योहार पांच दिनों का होता है, जिसमें दिवाली पर्व सबसे धूमधाम से मनाया जाता हैं। इन दिनों के दौरान हर कोने में खुशियों का बाजार होता है, और लोग एक दूसरे के साथ प्यार और समर्पण की भावना के साथ मिलते हैं।
दीपावली का आयोजन अमावस्या के दिन होता है, जब रात्रि दीपों की रौशनी से जगमग होती है। इस रंगत की गलियों में घर-घर खुशियाँ बसती हैं और लोग आपसी भाईचारे का महत्व मानते हैं। आइए, इस दीपावली में अपने दिल को खोलकर आनंदित हों और प्रेम भरे दर्शनों का आनंद लें।
पांच दिन दिवाली के
Name of Festival | Name of Day | Date of Festival |
पहला दिन धनतेरस | शुक्रवार | 10 नवंबर, 2023 |
दूसरा दिन छोटी दिवाली | शनिवार | 11 नवंबर, 2023 |
तीसरा दिन दिवाली, लक्ष्मी पूजा | रविवार | 12 नवंबर, 2023 |
चौथा दिन गोवर्धन पूजा | सोमवार | 13 नवंबर, 2023 |
पांचवा दिन भैया दूज | मंगलवार | 14 नवंबर, 2023 |
दिवाली पर पैराग्राफ -2
दीपावली, हिंदू समुदाय में महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे बड़े उत्साह और प्रेम के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर महीने में आता है। दीपावली का त्योहार श्री राम के लंकापति रावण को हराकर उनके अयोध्या लौटने के पर्व के रूप में मनाया जाता है, जो रावण को हराने के बाद हुआ था। भगवान राम की अयोध्या वापसी बुरी धरा पर अच्छाई,प्रेम सत्य वीरता आदि के जीत का प्रतीक है।
दीपावली, एक पांच दिवसीय उत्सव है जिसमें घरों को सजाया जाता है, और दीपक, फूल, और रंगीन रंगोलियों से हर कोने को सजाया जाता है। लोग उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। दीपावली की रात को, जिसे इस उत्सव की मुख्य शाम कहा जाता है, लोग धन और समृद्धि के देवी-देवता, लक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष पूजा करते हैं।
लोग घरों में रंगीन मिट्टी के दीपक जलाते हैं, जो प्रकाश और आशा की विजय का संकेत हैं। हालांकि दीपावली को कई दशकों से पटाखों और आतिशबाजियों के साथ मनाया जाता रहा है, 21वीं सदी में इनके पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभावों की चिंता बढ़ गई है। इसलिए, हमें अपने पर्यावरण का ध्यान रखते हुए दीपावली का उत्सव प्रेम और उत्साह, विनम्रता आदि के साथ मनाना चाहिए।
पैराग्राफ – 3 दिवाली का महत्त्व
दीपावली, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान राम के अयोध्या लौटने के बाद रावण के पराजय की याद दिलाता है। इसे बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन घरों को दीपों और रंगोली से सजाया जाता है,
लोग नए कपड़े पहनते हैं और मिठाई एवं उपहारों को विनम्रता से एक दुसरो में बाटते हैं। इस अवसर पर देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा के साथ-साथ, विघ्नहर्ता भगवान गणेश की भी अराधना होती है। दीपावली न केवल रौशनी का त्योहार है, बल्कि यह परिवारों को एक साथ जोड़ने, और खुशियों को फैलाने का एक अद्वितीय अवसर भी है।
दीपावली एक पांच-दिवसीय उत्सव है, जो हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
पहले दिन को ‘धनतेरस’ कहा जाता है, जो नए आरंभों और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन लोग विशेष रूप से सोने और चांदी की खरीदारी करते हैं, इसे एक शुभ मुहूर्त मानते हैं।
दूसरे दिन, ‘नरक चतुर्दशी’ या ‘छोटी दिवाली’ कही जाती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान के माध्यम से लोग बुरी आत्माओं को दूर रखने का संकल्प करते हैं।
तीसरे दिन, ‘दिवाली’ के रूप में भगवान राम की अयोध्या में वापसी का जश्न मनाया जाता है, जिसके साथ ही देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा भी होती है।
चौथे दिन को ‘गोवर्धन पूजा’ कहा जाता है, जिसमें लोग भगवान कृष्ण के गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं, जो मिथिला की महाकाव्य कथा में उजागर है।
और अंत में, ‘भैया दूज’ है, जो दिवाली का आखिरी दिन है और भाइयों और बहनों के बंधन का उत्सव है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और खुशी की कामना करती हैं।
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क्यों मनाते हैं हम दिवाली ?
दिवाली का आयोजन उस समय किया जाता है जब बुराई पर अच्छाई की विजय का महत्वपूर्ण समय आता है। इस शानदार उत्सव का महत्त्व और भी अधिक तब बढ़ाता है जब श्री राम का अद्वितीय क्षण, 14 वर्षों के वनवास के बाद रावण को पराजित करके अयोध्या लौटे। उस समय, अयोध्या के नागरिकों ने अपने घरों को दीपों से सजाया और इसे एक रंगत और प्रकाश से भर दिया। इस त्यौहार पर मोमबत्ती और पटाखों का जलना दिवाली के उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।
दिवाली का दूसरा महत्वपूर्ण कारण यह है कि यह भारत के विभिन्न क्षेत्रों में नए साल की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। इस समय, लोग नए आरंभों और नए संकल्पों के साथ नये साल की शुरुआत करते हैं, जिसे उन दीपों की रंगत में अभिवादन करते हैं।
दिवाली का तीसरा महत्वपूर्ण सिद्धांत है देवी लक्ष्मी की मुक्ति का, जिन्हें राजा बलि ने कैद कर लिया था। भगवान विष्णु ने अपने भेष बदलकर देवी लक्ष्मी को राजा बलि की कैद से बचाया, जिससे लोगों के घरों में भगवान की कृपा का आभास हुआ। इसलिए, दिवाली विशेष रूप से धन और समृद्धि की प्राप्ति की कामना के साथ मनाई जाती है।