Sher aur chuha ki kahani इस लेख में हम आपको शेर और चूहे की कहानी बताने जा रहे हैं आशा करते हैं आपको यह कहानी पसंद आएगी इस कहानी के माध्यम से आप अनेक प्रकार के नैतिक मूल्य को धारण कर सकते हैं|
इसके अतिरिक्त यह कहानी आपको यह भी सिखाएगी की कोई भी मित्र छोटा या बड़ा नहीं होता समय आने पर सभी मित्र हमारी मदद कर सकते हैं चाहे छोटा हो या बड़ा अमीर हो या गरीब हमें सभी को महत्व देना चाहिए|
शेर और चूहे की कहानी
एक समय की बात है एक घना जंगल था जिसमें एक चूहा और शेर रहा करते थे तथा उनके आसपास के क्षेत्रों में अन्य जानवर भी रहा करते थे एक दिन चूहा पेड़ पर चढ़कर फल तोड़ने और उसे खाने की कोशिश कर रहा था
फिर अचानक चूहे का पैर फिसला और वह पेड़ से नीचे गिर कर शेर के ऊपर जा गिरा शेर उसे पकड़कर कहने लगा कि तुमने मेरे ऊपर गिर कर मेरी नींद खराब की है मैं तुम्हें खाना चाहता हूं|
इतने में चूहे के रोंगटे खड़े हो जाते हैं और चूहा घबरा जाता है और विनम्र स्वभाव में शेर से विनती करता है कि जंगल के राजा शेर मैं बहुत छोटा हूं मुझे खाकर तुम्हारी भूख भी नहीं मिटेगी इसलिए मुझे छोड़ दो समय आने पर मैं तुम्हारी मदद करूंगा|
चूहे की इस बात को सुनकर शेर हंसने लगता है और कहने लगता है कि तुम इतने छोटे हो तुम मेरी क्या मदद करोगे, चलो फिर भी यदि तुम मुझसे विनती कर रहे हो तो मैं तुम्हें छोड़ देता हूं|
इस प्रकार कुछ दिन बीत जाते हैं और एक दिन शेर सो रहा था और एक शिकारी आता है और शेर को जाल से ढक देता है शेर जाल में फंस जाता है शेर बहुत तेज दौड़ता है और अपनी जान बचाने का प्रयत्न करता है
परंतु कोई भी उसकी मदद नहीं करता फिर शेर के ऊपर पेड़ पर चूहा यह सब देख रहा था चूहा चुपचाप से शेर के पास कुछ जाता है और जाल को अपने नुकीले दांतो की सहायता से कुतरकर काट देता है|
और फिर शेर को इशारा करता है कि मैंने जाल काट दिया है अब तुम मुझसे अपने हाथों से फार सकते हो इतना सुनते ही शेर अपना पंजा घुमाता है और जाल को फाड़ देता है|
उसके बाद शेर विनम्र और भाव भरे शब्दों में चूहे का धन्यवाद व्यक्त करता है और सोचता है कि हमें कभी किसी को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए समय आने पर छोटे से छोटा चूहा भी हमारी मदद कर सकता है|
उस दिन के बाद वे दोनों और भी घनिष्ठ मित्र बन जाते हैं और जंगल में स्वादिष्ट फल खाते हैं और जीवन का मजा लेते हैं|
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सीख – हमें कभी किसी चीज को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए अपने स्थान पर छोटी और बड़ी दोनों चीजों की अपनी उपयोगिता होती हैं और अपना महत्व होता है इसलिए हिंदी में कहावत है कि जहां सुई का कार्य होता है वहां तलवार कुछ नहीं कर सकती|