Sacchi mitrata kahani | सच्ची मित्रता की कहानी

Sacchi mitrata kahani, इस लेख में हम आपको सच्ची मित्रता की कहानी सुनाने जा रहे हैं आशा करते हैं आपको यह कहानी पसंद आएगी इस कहानी से आप सीखेंगे कि हमारे जीवन में मित्र का क्या महत्व होता है और मित्र हमारी किस प्रकार से जीवन में मदद करते हैं|

इसलिए हमें सोच समझकर और बुद्धि से अपने मित्रों का चुनाव करना चाहिए और जीवन के इस संघर्ष में जीतना चाहिए|

सच्ची मित्रता की कहानी

एक समय की बात है एक गांव में जो सच्चे मित्र रहते थे जिसमें से एक का नाम था अभिषेक और दूसरे के नाम था पवन दोनों ही काफी अच्छे मित्र थे और एक दूसरे को दिल से प्यार करते थे परंतु एक दूसरे को जताते नहीं थे|

एक समय की बात है एक गांव में जो सच्चे मित्र रहते थे जिसमें से एक का नाम था अभिषेक और दूसरे के नाम था पवन दोनों ही काफी अच्छे मित्र थे और एक दूसरे को दिल से प्यार करते थे परंतु एक दूसरे को जताते नहीं थे

उनका गांव बहुत ही सुंदर और स्वच्छ था उसमें एक नीला शीतल जल से भरपूर तालाब था जिसके आसपास का क्षेत्र बहुत ही हरा भरा था

एक दिन गांव के लड़के तालाब में नहाने के लिए जा रहे थे उन लड़कों को देखकर दोनों मित्रों ने तालाब में नहाने का निर्णय लिया वे दोनों मित्र भी तालाब में नहाने के लिए पहुंच गए

जैसे ही दोनों मित्र तालाब के पास पहुंचे तो देखा तालाब का पानी बहुत ही ठंडा और साफ है जिसे देखकर गांव के अन्य लड़कों और दोनों मित्रों ने पानी में छलांग लगा दी

कुछ समय तक दोनों मित्रों ने खूब मस्ती की और मजे से नहाए फिर कुछ देर बाद तालाब में एक मगरमच्छ आ गया और उसने अभिषेक की टांग पकड़ ली यह सब देख कर गांव के सभी लड़के तालाब से बाहर निकल गए और देखने लगे

मगरमच्छ अभिषेक को निगलने ही वाला था तभी पवन ने मगरमच्छ को पत्थर से मारा परंतु मगरमच्छ पर कोई प्रभाव नहीं हुआ फिर पवन को एक छड़ी दिखी जिसे उठाकर पवन ने तुरंत मगरमच्छ के ऊपर मारना शुरू किया और उसके आंखों में दे मारा इसके तुरंत बाद ही मगरमच्छ ने अभिषेक की टांग छोड़ दी और पवन तुरंत अभिषेक को तालाब के किनारे ले गया

इस प्रकार पवन ने सच्ची मित्रता निभाते हुए अपने दोस्त अभिषेक को मौत के मुंह से खींच लिया और उसके प्राणों की रक्षा की अभिषेक ने अपने प्रति पवन का इतना अटूट प्रेम देखकर उसे धन्यवाद दिया और उसकी आंखों में आंसू भी आ गए|

सीख – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि चाहे हमारे मित्र कम हो परंतु ऐसे हो जो कठिन से कठिन परिस्थिति में भी हमारा साथ दे सके|