Murkh gadha ki kahani | मूर्ख गधा की कहानी

Murkh gadha ki kahani इस आर्टिकल में हम आपको मूर्ख गधे की कहानी सुनाने जा रहे हैं इस कहानी से माध्यम से आप समाज के बारे में बहुत सारी चीजें सीख सकते हैं इस कहानी में आपको सीखने को मिलेगा कि किस प्रकार एक मूर्ख गधे से बहस करने के चक्कर में एक साहसी और बुद्धिमान बाघ को सजा मिल जाती है|

कहानी हमारी जीवन का एक अनमोल हिस्सा है हमारे बुजुर्ग हमें कहानी इसलिए सुनाते हैं कि हमें उनसे कुछ सीखने को मिले और उनसे मिली सीख को यदि हम अपने जीवन में उतारते हैं तो हमारा जीवन बहुत ही सुंदर और ऊर्जावान बनता है|

मूर्ख गधा की कहानी

एक समय की बात है एक ठंडे हरे भरे सुंदर से गांव में एक जंगल हुआ करता था जिसमें कुछ बाघ गधे चीते शेर आदि रहा करते थे एक दिन संयोग से बाघ और चीता रास्ते में जा रहे थे और दूसरी तरफ से गधा आ रहा था

कुछ देर उनकी बात हुई और फिर बात करते हुए विषय एक नई बात पर पहुंच गया गधे ने कहा घास नीला है परंतु बाघ ने कहा घास हरी है बात इतनी अधिक बढ़ गई कि दोनों का दिमाग गुस्से से झुनझुना रहा था|

Murkh gadha ki kahani

बहस के स्थान पर गर्मा गर्मी का माहौल बन गया और दोनों में से कोई भी व्यक्ति एक दूसरे की बात मानने को तैयार नहीं था इस प्रकार साथ के लोगों ने सलाह दी कि आप जंगल के राजा शेर से अपनी बातों को कहो

इस प्रकार दोनों बहस करते हुए शेर के पास पहुंच जाते हैं और धीरे-धीरे अपनी बातों को कहना प्रारंभ करते हैं इस प्रकार गधा कहता है – शेर राजा मैं कह रहा हूं घास नीली है परंतु फिर बाघ कहता है – शेर राजा घास हरी है इतने में गधा चिल्लाता है और कहता है शेर राजा आप चुप क्यों हो बताइए ना क्या घास नीली है

इतने में शेर जवाब देने लगते हैं और कहते हैं – हां यह बिल्कुल सच है कि घास नीली है फिर गधा खुश होकर हड़बड़ी से बोलता है कि बाघ मेरी बात को नहीं मान रहा है और मुझे यह इस छोटी सी बात पर परेशान कर रहा है कृपया! उसे सजा दे

तब शेर राजा ने जवाब दिया कि बाघ को 2 साल के लिए चुप्पी साधने की सजा दी जाती है यह बात सुनकर गधा प्रसन्नता से भर गया और अपने रास्ते चल दिया और रास्ते में चिल्लाता हुआ गया कि घास नीली है, घास नीली है, द ग्रास इज़ ब्लू, घास नीली है

इस प्रकार बाघ ने शेर राजा से बिना प्रश्न किए अपनी सजा स्वीकार कर ली और उसके बाद कुछ समय के लिए सजा को भूलते हुए बाघ ने शेर राजा से प्रश्न किया है महाराज यह आप भी जानते हैं कि घास हरी होती है परंतु आपने मुझे सजा क्यों दी

इस प्रश्न को सुनकर शेर राजा जवाब देते हैं कि – दरअसल घास हरी होती है परंतु मैंने आपको सजा इसलिए दी क्योंकि मुझे इस बात से कोई लेना देना नहीं है कि आपने घास को नीला बताया है या हरा परंतु आप को सजा इस बात की दी गई है

कि आप जैसे बुद्धिमान साहसी और बलशाली प्राणी को यह शोभा नहीं देता कि आप गधे जैसे बुद्धिहीन और बेवकूफ लोगों के साथ समय व्यर्थ करें और साथ ही आप इस बेवकूफी भरी बहस में मुझे भी परेशान कर रहे हो|

हमें जीवन में सफल होने के लिए इन छोटी बातों का ध्यान रखना होता है कि हम किसी मूर्ख कट्टर और बुद्धिहीन व्यक्ति से बहस ना करें और ना ही बहस करके उनके साथ समय खराब करें, क्योंकि हमारे जीवन में समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है हमें उन लोगों से बचना चाहिए जो वास्तविकता की परवाह नहीं करते केवल अपनी भ्रांतियों गलत जानकारी और अंधविश्वास के बल पर एक दूसरे से बहस करते हैं और जीतने का प्रयत्न करते हैं

इसलिए हमें इस प्रकार के लोगों से बचना चाहिए जिससे हम जीवन में बहुत अधिक सफल हो सकते हैं इतना कहते हुए शेर अपनी बात को विराम देता है और सबा से उठ कर चले जाते हैं अंत में बाघ शेर राजा की बात के लिए हामी भरते हुए चले जाते हैं और अपने सजा भुगतते हैं परंतु कुछ समय पश्चात और भी अधिक बुद्धिमान, साहसी और तेजस्वी हो जाते हैं|

सीख – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें बुद्धिहीन बदतमीज और अज्ञान लोगों से बहस करके अपना समय खराब नहीं करना चाहिए एक समझदार शक्तिशाली और बुद्धिमान व्यक्ति को केवल अपने लक्ष्य के लिए कार्य करना चाहिए और उसके लिए निरंतर चिंतन करना चाहिए तभी वह अपना और समाज का भला कर सकता है|