Murkh chor ki kahani | मूर्ख चोर की कहानी

Murkh chor ki kahani इस आर्टिकल में हम आपको मूर्ख चोर की कहानी बताने जा रहे हैं जिसे पढ़कर आपको जीवन की नैतिकता से संबंधित अनेक प्रकार की चीजें और गुण सीखने को मिलेंगे जिन्हें सीखने के बाद आप अपने आप को मानसिक रूप से ताकतवर महसूस करेंगे|

इस कहानी में आपको सीखने को मिलेगा कि किस प्रकार एक चोर चोरी जैसी बुरी आदत को छोड़कर अंत में एक अच्छा व्यक्ति बनता है और खूब तरक्की करता है|

मूर्ख चोर की कहानी

एक गांव में एक बहुत ही मूर्ख चोर रहता था। यह चोर बहुत निर्धन था और गरीबी के कारण वह हर दिन भोजन के लिए चोरी करने के लिए दूसरों के घरों में घुस जाता था। उसकी आदत सी बन गयी था और वह लोगों की जिंदगी में परेशानी और मुस्किले खड़ी कर रहा था।

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एक दिन, चोर गांव के सभी लोगों के वस्त्र, गहने, खाद्य सामग्री और अन्य सामग्री को चुरा लेने के लिए एक महीने की योजना बनाने में लगा। उसने सोचा कि अगले हफ्ते के दौरान, जब सभी लोग शादी में व्यस्त होंगे, तब उसे आसानी से चोरी करने का मौका मिलेगा।

चोर अपनी योजना के अनुसार कार्रवाई करने के लिए तैयार हो गया। हालांकि, एक दिव्य साधु ने उसकी चोरी की योजना की जानकारी प्राप्त की। यह साधु एक संत होने के साथ-साथ बहुत ही बुद्धिमान और ज्ञानी भी थे

जब साधु ने चोर की योजना के बारे में जाना, तो वे समझ गए कि चोर अपनी हरकतों से सभी लोगों को परेशान करने की कोशिश कर रहा है। साधु ने सोचा कि इसे एक सबक सिखाने का वक्त आ गया है।

शादी के दिन, जब चोर घरों में चोरी करने के लिए घुसा, वह सभी घरों में खोज रहा था, लेकिन उसे कोई भी खाद्य सामग्री, गहने आदि नहीं मिले। चोर आश्चर्यचकित हुआ और सोचा कि शायद लोगों ने सामग्री छिपा दी है।

तभी, साधु ने चोर को पकड़ लिया और सभी लोग उसे देखने आ गए। चोर बहुत ही शर्मिंदा हुआ और माफी मांगने लगा।

साधु ने चोर को ध्यान से सुना और फिर उससे पूछा, “तुम्हें यह हरकत क्यों करने की आवश्यकता महसूस हुई, जो लोगों की सुख-शांति को खतरे में डाल रही है?”

चोर ने कहा, “महात्मा, मुझे भूख और गरीबी से जूझना पड़ता है, इसलिए मैं चोरी करता हूँ।”

साधु ने मुस्कान के साथ कहा, “मेरे दोस्त, चोरी तुम्हारी समस्या का समाधान नहीं है। तुम्हें आपने दिमाग का सही उपयोग करके अपनी समस्या का समाधान ढूंढना चाहिए। चोरी करके तुम न केवल दूसरों को परेशान करते हो, बल्की अपने आप को भी और अधिक गरीब बना रहे हो।”

चोर ने सोचा और अपनी गलती को स्वीकार करते हुए कहा, “महात्मा, आपने सही कहा है। मैं अपनी गलती समझता हूँ और इससे सीख लेता हूँ। मुझे अपनी समस्या के समाधान के लिए बुद्धि, समय, मेहनत और योग्यता का उपयोग करना चाहिए, न कि चोरी करके।”

इस प्रकार, चोर ने अपनी गलती को स्वीकार किया और साधु के द्वारा दिए गए सच्चे समाधान की ओर बढ़ा और देखते ही देखते वह बहुत सफल व्यापारी बन गया और अन्य गरीब लाचार लोगों की मदद करने लगा

जिससे वह बहुत ही अच्छा नेक दिल इंसान बन गया और उसे बहुत अधिक प्रसिद्धि मिली, अंत में उसने अपनी सफलता का श्रेय उन दिव्य साधु को दिया और वह हर दिन उन दिव्य साधु से आशीर्वाद लेने भी जाने लगा|

सीख – यह कहानी हमें यह सिखाती है कि गलत कार्यों से कोई लाभ नहीं होता और हमें अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए सही मार्ग चुनना चाहिए।