Chiti aur kabootar ki kahani | चींटी और कबूतर की कहानी

chiti aur kabootar ki kahani, इस आर्टिकल में हम आपको चींटी और कबूतर की कहानी बताने जा रहे हैं जिसमें आपको पता चलेगा कि किस प्रकार चींटी और कबूतर एक दूसरे की मदद करते हैं और एक दूसरे के महत्व का पता चलता है इस कहानी से हम अनेक प्रकार की चीजें सीख सकते हैं|

यह कहानी हमें हमारे नैतिक गुणों को सिखाती है और जीवन में सही मार्ग प्रदान करती है जिससे हम जीवन में सही मार्ग पर चलकर सफलता प्राप्त कर सकें|

चींटी और कबूतर की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है एक गांव में एक सुंदर सा तालाब हुआ करता था और उस तालाब के किनारे एक हरा भरा पेड़ था जिस पर एक चींटी रहती थी 1 दिन चींटी चलते हुए तालाब में गिर गई, एक कबूतर उसी पेड़ पर बैठकर यह सब देख रहा था कबूतर ने बहुत देर तक चींटी को देखा क्योंकि चींटी अपने जीवन को बचाने के लिए बहुत देर तक पानी में तैरने और ना डूबने का कठिन संघर्ष और प्रयत्न कर रही थी

chiti aur kabootar ki kahani

यह सब देखते हुए कबूतर को चींटी पर दया आ गई और कबूतर में अपनी पैनी चौथ से एक पत्ते को तोड़ा और चींटी के पास तालाब में फेंक दिया पत्ता तैरते हुए चींटी के पास पहुंच गया चींटी थोड़े से परिश्रम के बाद पत्ते पर चल गई और धीरे-धीरे तैरते हुए तालाब किनारे पहुंचकर तो 12 पेड़ पर चढ़ गई चींटी ने अपनी दयालु नजरों से और कृतज्ञ नजरों से कबूतर का धन्यवाद दिया

इस तरह चींटी बहुत थक गई थी कुछ सप्ताह बाद जंगल में एक व्यक्ति पक्षियों को पकड़ने आया था उसने पक्षियों को पकड़ने के लिए कुछ अनाज के दाने जमीन पर बिखेर दिए जिससे पक्षी उसके जाल में फंस जाएं इस प्रकार उस व्यक्ति में दाना डालकर जमीन पर जाल फैला दिया जिससे पक्षी उसके जाल में फंस जाएं और यह सब करने के बाद में व्यक्ति पेड़ के पीछे छुप कर किसी पक्षी के जाल में फंसने का इंतजार कर रहा था

परंतु चींटी पेड़ के ऊपर चढ़कर यह सब देख रही थी और जाल को देखकर वह सचेत हो गई थी इस प्रकार कुछ समय बाद वह देखती है कि वह सुंदर कबूतर जिसने उसकी जान बचाई थी वह धीरे-धीरे उड़कर और पेड़ पर चलकर उसी जाल में हंसने के लिए दाना खाने जा रहा है इस प्रकार चींटी उसे बचाने के लिए कुछ सोचती है और चींटी धीरे धीरे चल कर उस शिकारी व्यक्ति के पास पहुंच जाती है

और उसके पैर में बहुत तेज काट लेती हैं जिससे उस व्यक्ति की बहुत तेज चीख निकल जाती है जिसकी आवाज सुनकर कबूतर चौकन्ना हो जाता है और अपनी दिशा बदल कर उड़ जाता है क्योंकि कबूतरी है समझ जाता है कि वह शिकारी है और दाना डालकर उसका शिकार करना चाहता है

उसके तुरंत बाद कबूतर मन ही मन चींटी का धन्यवाद करता है और एक नीला आसमान में गहरी सांस लेकर ऊंची उड़ान भरता है धीरे-धीरे चींटी और कबूतर मित्र बन जाते हैं और उसी पेड़ पर एक दूसरे की सहायता करते हुए अपना सुंदर और सरल जीवन व्यतीत करते हैं|

सीख – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि हम किसी की मदद करते हैं तो हमें ईश्वर मदद पहुंचाता है चाहे वह किसी पक्षी के रूप में हो या फिर व्यक्ति के रूप में, कम शब्दों में कहे तो कर भला तो हो भला यदि हम भला करते हैं तो हमारे साथ भी भला ही होता है|