Budhiman bandar ki kahani इस आर्टिकल में हम आपको बुद्धिमान बंदर की कहानी बताने जा रहे हैं इस कहानी में आप देखेंगे कि किस प्रकार से बंदर ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए अपनी जान की रक्षा की,
इसलिए हमें कहानियां पढ़नी चाहिए जिससे यदि जीवन में उस प्रकार की परिस्थिति हमारे जीवन में आती है तो हमें उस समस्या से किस प्रकार से लड़ना होता है इस प्रकार की सीखा में यह कहानियां प्रदान करती हैं|
बुद्धिमान बंदर की कहानी
एक बार की बात है, एक जंगल में एक बंदर और एक मगरमच्छ एक-दूसरे के पड़ोस में रहते थे। वे दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और बहुत समय साथ बिताते थे।
बंदर बहुत चालाक और खुशमिजाज़ था, जबकि मगरमच्छ धीमा और शांत स्वभाव का था। दिनभर बंदर और मगरमच्छ जंगल में घूमते फिरते और खेलते रहते थे।
एक दिन, जब वे दोस्त जंगल के पास एक झील में खेल रहे थे, तभी बंदर बहुत उतावला हो गया। वह अपने बंदरगाह के पास लगे पेड़ के ऊपर जाने की कोशिश करने लगा। परंतु उसे ऊपर चढ़ने के लिए कोई सहायता चाहिए थी।
बंदर बोला, “मेरे दोस्त मगरमच्छ, क्या तुम मुझे ऊपर चढ़ने के लिए मदद कर सकते हो? मुझे वहां से दूर से दिख रहे फल बहुत पसंद हैं।”
मगरमच्छ धीरे से बोला, “भगवान के द्वारा हमें दिए गए स्वाभाविक गुणों में एक यह भी है कि हम एक दूसरे की मदद करें। मैं तुम्हारी मदद करूंगा, परंतु मेरे पास छोटे पैर हैं और मुझे ताकत की कमी होती है।”
बंदर बहुत खुश हुआ और बोला, “धन्यवाद, दोस्त मैं तुम्हारे पीछे आ जाऊंगा। तुम मुझसे अपनी पूंछ थोड़ी ऊंची करो, ताकि मैं उसे पकड़ सकूं। फिर मैं ऊपर चढ़कर तुम्हारे लिए फल ला सकूंगा।”
मगरमच्छ ने अपनी पूंछ ऊंची की और बंदर उसे पकड़कर ऊपर चढ़ गया। वे एक साथ फलों की भरी हुई गंठ को नीचे ले गए और उसे बांटने लगे। दोनों खुश हो गए क्योंकि उन्होंने एक-दूसरे की मदद की और मीठे- मीठे फलों का आनंद लिया।
सीख़ – इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि हमें दूसरों की मदद करना चाहिए और एक-दूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए। जब हम एक-दूसरे की मदद करते हैं, तो हम न केवल अपनी मित्रता को मजबूत करते हैं, बल्कि अपनी समझदारी और अनुशासन को भी बढ़ाते हैं।
तीन छोटे सूअरों की कहानी
एक समय की बात है, एक गांव में तीन छोटे सूअर रहते थे। उनके नाम थे – चिंटू, मिंटू और पिंटू। वे सभी बहुत ही अद्भुत और मिलनसार दोस्त थे। गांव के लोग उन्हें बचपन से ही मिलावटी तालियों की मशहूरी से जानते थे।
एक दिन, सूअरों को देखकर गांव के बच्चे अपनी अदाकारी दिखाने लगे। वे उनके पीछे-पीछे धावा बोलकर नाचने लगे। लोग बहुत हंसे और मनोरंजन का आनंद लिया। इसके बाद से, चिंटू, मिंटू और पिंटू की शो की मांग बहुत बढ़ गई।
उन्होंने मिलकर तय किया कि उन्हें अधिक प्रशंसा और मशहूरी पाने के लिए उनका नाटकीय कौशल और कला अभियांत्रिकी में सुधार करने की आवश्यकता है। तभी एक प्रसिद्ध “नाटक गुरु” गांव में आया।
तीनों सूअर उस गुरु के पास गए और उनसे अपनी समस्या साझा की। नाटक गुरु ने सूअरों को देखकर कहा, “तुम्हारी कला में सुधार करने के लिए, तुम्हें पहले अपनी व्यक्तित्व और शक्ति को बढ़ाना होगा।”
इस पर चिंटू, मिंटू और पिंटू अच्छी तरह सोचे और संयम से आहार लेने का नियम बना लिया। उन्होंने पूरी शक्ति से नाटक की रसभरी निभाई और जादूगरी का जादू दिखाया।
गांव के लोग अचंभित रह गए और सूअरों की कला के प्रति बहुत प्रशंसा की। चिंटू, मिंटू और पिंटू बहुत खुश थे क्योंकि उन्होंने अपनी मेहनत और संयम से लोगों का दिल जीत लिया था।
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सीख़ – इस कहानी से हमें यह सीख़ मिलती है कि किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए संयम, मेहनत और अदाकारी की आवश्यकता होती है। चिंटू, मिंटू और पिंटू ने यह सिद्ध किया कि छोटे आकार के बावजूद भी वे बहुत कुछ कर सकते हैं अगर वे अपनी शक्ति को सही तरीके से नियंत्रित करें।