Climate change article in hindi | जलवायु परिवर्तन पर लेख

Climate change article in hindi आप जानते हैं कि पृथ्वी दिवस यानी Earth Day हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाता है Earth Day के उपलक्ष पर गूगल ने भी अपनी कुछ तस्वीरों के माध्यम से लोगों को यह बताने का प्रयत्न किया कि हमारी जलवायु में कितना अधिक परिवर्तन आ चुका है

इन तस्वीरों में साफ-साफ देखा जा सकता है कि वर्ष 2000 में ली गई तस्वीर पर कितनी अधिक बर्फ है परंतु उसके लगभग 20 वर्ष बाद यानी वर्ष 2020 में आधे से अधिक बर्फ की मात्रा पिघल चुकी है जो यह दर्शाता है कि हमारी जलवायु में असामान्य रूप से परिवर्तन हो रहा है और पृथ्वी लगातार गर्म हो रही है जिसे हम ग्लोबल वॉर्मिंग या भूमंडलीय ऊष्मीकरण भी कहते हैं

जलवायु परिवर्तन का अर्थ

जलवायु परिवर्तन उस समस्या को कहा जाता है जब वैश्विक स्तर पर या किसी क्षेत्र, स्थान के वातावरण में असामान्य परिवर्तन होता है तो इस परिस्थिति को जलवायु परिवर्तन की संज्ञा दी जाती है

उदाहरण के रूप में समुद्र के तापमान में वृद्धि के कारण समुद्री जीव व कोरल की संख्या में कमी आई है, पृथ्वी के तापमान में वृद्धि के कारण जंगलों में आग लगने के मामले बढ़े हैं, हमारे ग्लेशियर निरंतर पिघल रहे हैं, कुछ स्थानों पर बाढ़ जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हुई है, शुष्क वातावरण के कारण आग तेजी से फैलने की संभावनाएं रहती है, कई नदियां सूख गई है तथा नदियों के पानी की मात्रा घट रही है इसके अतिरिक्त इस प्रकार की अनेक गंभीर समस्या उभर रही है

यदि हम एक संतुलित प्रकृति का सपने देखते हैं तो इसे पाने के लिए हमें अनेक प्रकार की कुर्बानियां देनी होगी यानी हमें आधुनिकरण को छोड़कर प्रकृति की ओर बढ़ना होगा एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ ने अनेक वर्षों पहले ही अपनी एक पुस्तक में लिखा है कि यदि आप विकास चाहते हैं तो “बैक टू द नेचर”

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इंटरनेट भी हमारे पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक है चाहे वह प्रत्यक्ष रूप से हो या अप्रत्यक्ष रूप से क्योंकि एक रिसर्च में यह सामने आया है कि यदि कोई व्यक्ति दो बार इंटरनेट पर सर्च करता है तो हमारी इतनी अधिक विद्युत बर्बाद होती है कि उससे 15 ग्राम CO2 गैस का उत्सर्जन होता है

जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारण कौन-कौन से हैं?

  • मानवीय गतिविधियां एक सबसे बड़ा कारण है

जैसे कि आप सभी जानते हैं आज के इस तकनीकी दौर में मनुष्य ने अपनी सुविधाओं के लिए अनेक प्रकार की चीजों को विकसित किया है जैसे कई प्रकार की मशीन, वाहनों, फ्रिज, उद्योगों, जनरेटर, एसी इन सभी चीजों से या तो धुआं उत्सर्जित होता है या कोई हानिकारक गैस निकलती है जैसे सीएफसीएस, CO2 आदि इस प्रकार की गतिविधियों हमारे जलवायु को गंभीर रूप से प्रभावित करती है

  • ओजोन परत हास्

जलवायु परिवर्तन के लिए ओजोन परत हास् बहुत हद तक जिम्मेदार है क्योंकि यह एक ऐसी गैस होती है जो पृथ्वी का रक्षा कवच कहलाती है क्योंकि यह सूर्य से निकलने वाली हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणों के घातक प्रभाव से बचाती है

  • शहरीकरण

शहरीकरण भी क्लाइमेट चेंज का एक बहुत बड़ा कारण माना जाता है क्योंकि भूमि पर वनों के स्थान पर बड़ी-बड़ी इमारतों और उद्योगों को स्थापित कर रहे हैं जिस कारण उन स्थानों पर जलवायु में असमान परिवर्तन देखा जाता है तथा जल चक्र व अन्य प्रकार की प्राकृतिक गतिविधियां सुचारू रूप से नहीं चल पाती

  • औद्योगिकरण

जलवायु परिवर्तन के अनेक महत्वपूर्ण कारणों में से औद्योगिकरण भी एक मुख्य कारण माना जाता है क्योंकि वनों को काटकर हम वहां पर बड़े-बड़े उद्योग स्थापित करते हैं इन उद्योगों से निकलने वाला धुआं, हानिकारक गैसे, तरल अपशिष्ट हमारे पर्यावरण को कई प्रकार से दूषित करता है और इसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष परिणाम हमारी प्रकृति या पर्यावरण पर पड़ता है

  • ज्वालामुखी विस्फोट

ज्वालामुखी विस्फोट भी जलवायु के तापमान में वृद्धि का एक प्रमुख कारण माना जाता है क्योंकि आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब भी ज्वालामुखी विस्फोट होता है तो उसमें अधिक मात्रा में CO2, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, अमोनिया क्लोराइड, हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी गैसें निकलती हैं व बहुत गर्म लावा बाहर आता है जिससे तापमान बढ़ जाता है

  • हरित ग्रह प्रभाव

जलवायु के तापमान में वृद्धि का एक मुख्य कारण हरित ग्रह प्रभाव भी माना जाता है क्योंकि भारत के कुछ क्षेत्रों में जहां तापमान बहुत कम होता है वहां खेती के लिए ग्रीन हाउस का निर्माण किया जाता है इन हाउस की दीवार कांच की बनी होती है जो सूर्य की ऊष्मा को अवशोषित कर लेती है परंतु उन्हें बाहर नहीं जाने देती जिससे वहां के लोग खेती तो कर लेते हैं परंतु इसका नकारात्मक प्रभाव हमारे वातावरण पर पड़ता है क्योंकि इससे CO2, सल्फर हेक्साफ्लोराइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड जैसी अनेक गैसें निकलती हैं

  • वनों की संख्या में कमी भी जलवायु परिवर्तन का बहुत बड़ा कारण है

आप जानते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में जनसंख्या में तीव्रता से विस्फोट हुआ है जिस कारण मनुष्य ने अपने रहने व अन्य प्रकार की सुविधाओं के लिए प्रकृति से जमकर छेड़छाड़ की है जैसे अधिक मात्रा में वनों की कटाई , शहरीकरण, औद्योगिकरण आदि जिसका नकारात्मक प्रभाव हमारे वातावरण पर पड़ता जा रहा है

  • विद्युत उत्पादन

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि विद्युत आज की पीढ़ी की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है जिसका उत्पादन हमें अधिक मात्रा में करना पड़ता है परंतु इसके नकारात्मक प्रभाव हमारे पर्यावरण को झेलने पड़ते हैं क्योंकि विद्युत उत्पादन के लिए हमे बड़ी मात्रा में कोयले को जलाना पड़ता है जिससे अधिक मात्रा में ऊष्मा, ग्लोबल वॉर्मिंग गैस CO2 उत्सर्जित होती है जो हमारे पर्यावरण को प्रभावित करती है

  • पेट्रोल, डीजल जैसे ईंधन का अधिक मात्रा में प्रयोग

पेट्रोल, डीजल इनकी अधिक मात्रा में खपत को भी हम जलवायु परिवर्तन से जोड़कर देख सकते हैं क्योंकि आज के समय में जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ वाहनों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है और अधिकतर लोग वाहनों का इस्तेमाल कर रहे हैं जिस कारण इनमें पेट्रोल, डीजल व अन्य प्रकार के ईंधन की खपत हो रही है परिणाम स्वरूप वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है जिसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव हमारे पर्यावरण पर पड़ता है तथा जलवायु के तापमान में वृद्धि होती है

  • सोलर रेडिएशन यानी सौर विकिरण

यह भी हमारी पृथ्वी के तापमान में वृद्धि का एक मुख्य कारण माना जा सकता है क्योंकि जैसे-जैसे समतापमंडल में ओजोन की मात्रा घट रही है वैसे वैसे पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होती जा रही है आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ओजोन परत अवक्षय यानी ओजोन गैस की मात्र में कमी बहुत गंभीर विषय है जिस कारण प्राकृतिक जलवायु बुरी तरह प्रभावित हो रही है हमें इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए

जलवायु परिवर्तन के मुख्य प्रभाव

  • जंगलों में आग लगना

तापमान में वृद्धि के कारण जंगलों में आग लगने की समस्याएं उत्पन्न हो रही है और इस प्रकार की घटनाएं हाल ही के कुछ वर्षों में अधिक बढ़ी है जिस कारण जंगली जीवो को नुकसान पहुंचता है और कई बार उन्हें जान भी गंवानी पड़ जाती है जिस कारण वन्यजीव प्रभावित होते हैं और प्राकृति में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होती है

  • ग्लेशियरों का पिघलना

पृथ्वी के तापमान में इस प्रकार की असामान्य वृद्धि ग्लेशियरों को पिघला रही है हिमालय के ग्लेशियर असामान्य रूप से पिघल रहे हैं जिस कारण बाढ़ व अन्य प्रकार की समस्या उत्पन्न हो रही है आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन ग्लेशियरों पर लगभग 200 करोड़ लोग निर्भर हैं यदि तापमान में इसी तरह वृद्धि होती रही तो मनुष्य जाति संकट में आ सकती है और कुछ अध्ययनों में आंकड़ों ने यह बात स्पष्ट भी की है कि ग्लेशियरों का पिघलना मनुष्य जाति के लिए एक विशाल संकट का रूप ले सकता है

  • ओजोन परत के लिए घातक

समताप मंडल में उपस्थित गैस ओजोन जिसे हम ओजोन परत के नाम से भी जानते हैं यह परत हमें सूर्य से निकलने वाली नुकसानदायक व गंभीर अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती है परंतु मानवीय गतिविधियों अन्य कारणों से पृथ्वी पर निकलने वाली सीएफसीएस CO2 व मिथेन जैसी हानिकारक गैसें ओजोन परत को भी नुकसान पहुंचा रही है और इंटरनेट पर उपलब्ध कई चित्रों के माध्यम से स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि पिछले कुछ वर्षों में ओजोन परत का यह छिद्र किस प्रकार से बढ़ता जा रहा है

  • प्रकृति में असंतुलन

पृथ्वी के तापमान में इस प्रकार से परिवर्तन हमारी संपूर्ण प्रकृति में असंतुलन उत्पन्न कर रही है जिस कारण जल चक्र , वर्षा, वन, वन्य जीव, जलीय जीव आदि सभी प्रभावित हो रहे हैं कुछ क्षेत्रों मे या तो सूखा पड़ जाता है या बाढ़ आ जाती है वर्षा अनियमित रूप से होती है भोम जल स्तर गिरता जा रहा है वर्षा जल की गुणवत्ता खराब हो रही है अर्थात अम्लीय वर्षा अन्य शब्दों में कहे तो हमारा पूरा पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हो रहा है

  • पृथ्वी के ध्रुवीय या अन्य भागों पर रहने वाले जीवन पर खतरा

जिस प्रकार से हमारी पृथ्वी असंतुलित हो रही है और इसमें अनेक प्रकार के घातक परिवर्तन देखे जा रहे हैं जिसका परिणाम हमारे ध्रुवीय क्षेत्रों पर सबसे पहले देखने को मिल रहा है और यह माना जा रहा है कि यदि तापमान में वृद्धि इसी प्रकार से जारी रही और प्रकृति में असंतुलन बना रहा तो ध्रुवीय क्षेत्रों पर जीवन पूर्णतः समाप्त हो जाएगा

  • वन्य जीवन पर खतरा

इन परिवर्तनों के कारण जानवरों की प्रजातियां विलुप्त हो रही है क्योंकि यह देखा जा रहा है कि ध्रुवीय भालू, अफ्रीकी हाथियों, एडली पेंगुइन, एशियाई गेंडे, चीता व बाग जैसे जानवर जंगलों में आग में प्रकृति में असंतुलन के कारण या तो समाप्त हो रहे या इनकी संख्या कम हो रही है जो हमारी पारिस्थितिक तंत्र के लिए बहुत बडे खतरे की ओर संकेत करता है

जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के कुछ उपाय

  • औद्योगिक गतिविधियां में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है क्योंकि उद्योगों से निकलने वाली हानिकारक गैसें जैसे CO2 सीएफसीएस अन्य प्रकार का तरलीय अपशिष्ट हमारी प्रकृति के लिए गंभीर समस्या है
  • जनसंख्या नियंत्रण मनुष्य जाति की गतिविधियों मैं परिवर्तनों कर हम इस समस्या मे कुछ हद तक परिवर्तन ला सकते हैं क्योंकि मानवीय गतिविधियों के कारण व जनसंख्या वृद्धि के कारण लोगों के लिए आवास और अन्य प्रकार की व्यवस्था करने के लिए वनो व अन्य प्रकार के संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे यह समस्या उत्पन्न हो रही है
  • पेट्रोल, कोयला व डीजल जैसे संसाधनों का न्यूनतम उपयोग करें

जैसा कि हम जानते हैं कि वाहनों, विद्युतीय उत्पाद व उद्योगों से अधिक मात्रा CO2, सीएफसीएस, एथेन व मीथेन जैसी गैसों निकसित होती हैं इसलिए हमें इनके नियंत्रण के लिए जरूरत होने पर ही इस प्रकार के संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए तथा संभव होने पर वाहनों के स्थान पर साइकल या पैदल यात्रा का चयन करना चाहिए

  • शहरीकरण पर नियंत्रण कर

इस समस्या के समाधान के लिए हम शहरीकरण को भी जिम्मेदार ठहरा सकते हैं यदि हम शहरीकरण पर नियंत्रण करते हैं और वनों को प्राथमिकता देते हैं तो शायद हमें इस समस्या से कुछ हद तक निजात मिल सकती है

  • पर्यावरण को हानि पहुंचाने वाली तकनीकों में परिवर्तन कर

यदि हमें इस प्रकार की समस्या से बचना है तो हमें अपनी तकनीक मैं इस प्रकार के परिवर्तन करने होंगे जो हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं जैसे कुछ विद्युतीय यंत्र जैसे फ्रिज, AC, जनरेटर व अन्य प्रकार के यंत्र जो CO2, क्लोरोफ्लोरोकार्बन जैसी अन्य घातक गैसों को रिलीज करते हैं

  • उद्योगों व अन्य माध्यमों से निकलने वाली ओजोन, CO2, एथेन, मीथेन, क्लोरोफ्लोरोकार्बन जैसी गैसों पर नियंत्रण करना अति आवश्यक है बताना चाहते हैं समताप मंडल में उपस्थित ओजोन गैस हमारे लिए अच्छी होती है और हमारी पृथ्वी में उत्सर्जित अन्य माध्यमों से ओजोन गैस हानिकारक होती है
  • धान व अन्य प्रकार की खेती के पश्चात कूड़े को जलने से बचाकर

यदि आप चाहते हैं कि पर्यावरण के लिए हम उस प्रकार के कदम उठाएं जो हमारी प्रकृति के लिए लाभदायक हो तो उनमें से एक महत्वपूर्ण कदम यह भी है कि खेती के पश्चात उनमें से निकलने वाला अपशिष्ट कूड़ा ना जलाएं क्योंकि इनसे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है

  • पेट्रोल, डीजल व अन्य प्रकार की ऊर्जा से चलने वाले वाहनों के स्थान पर इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल करें और संभव होने पर पैदल यात्रा या साइकिल को प्राथमिकता दें

निष्कर्ष – जलवायु परिवर्तन एक प्रकार की वैश्विक समस्या है इस समस्या को किसी एक व्यक्ति या संगठन के माध्यम से सुलझाना नामुमकिन है इसके लिए हमें वैश्विक स्तर पर कार्य करना होगा और सभी लोगों को मिल-जुलकर अपने क्रियाकलापों व प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों पर रोक लगाकर प्रकृति के लिए सुरक्षा कवच तैयार करना होगा

जलवायु परिवर्तन के लिए मानवीय गतिविधियां ही सबसे अधिक जिम्मेदार हैं इसलिए हमें इस के संदर्भ में अधिक से अधिक नियम व कानूनों को बनाकर व लोगों में जागरूकता बढ़ाकर इस समस्या का समाधान करना होगा क्योंकि यदि जलवायु में इसी प्रकार से परिवर्तन होता रहा तो यह भावी पीढ़ी व वर्तमान पीढ़ी के लिए बहुत गंभीर समस्या बन सकती है

इस समस्या के समाधान के लिए हम अनेक प्रकार के नियम बनाकर उन्हें लागू कर सकते हैं लोगों को जागरूक कर सकते हैं तथा वृक्षारोपण जैसे कार्यक्रमों को प्रोत्साहित कर सकते हैं|