Ekta mein bal ki kahani | एकता में बल की कहानी

Ekta mein bal ki kahani इस लेख में हम आपको एकता में बल की कहानी सुनाने जा रहे हैं आशा करते हैं आपको यह कहानी पसंद आएगी इस कहानी से आपको सीखने को मिलेगा कि किस प्रकार जीवन में एकता हमारे काम आते हैं

और हम बड़ी से बड़ी कठिनाई को भी एकजुटता से जीत सकते हैं इसलिए ज्यादा जानने के लिए और अपने नैतिक ज्ञान को बढ़ाने के लिए इस कहानी को अंत तक पढ़े|

एकता में बल की कहानी

पुराने समय की बात है ढोलकपुर नाम के गांव में एक किसान रहता था जो दिन-प्रतिदिन बूढ़ा होता जा रहा था और वह बीमार भी रहने लगा था उस किसान के चार बेटे थे जो आपस में लड़ते झगड़ते रहते थे

और एक दूसरे के दुश्मन बने हुए थे उसे अपने बेटों की बहुत ज्यादा चिंता थी किसान चाहता था कि मेरे बेटे मिलजुल कर रहे और इस समाज में हमेशा आगे बढ़े और जीवन में इज्जत शोहरत और नाम कमाए|

ekta me bal ki kahani

किसान को लगा कि उसका समय अब नजदीक आ रहा है मैं चाहता था कि मेरे जाने से पहले मैं अपने बेटों को समझा कर जाऊं

फिर किसान ने चारों बेटों को बुलाया और एक लकड़ी के गट्टे को एक-एक करके हाथ में दिया और कहा कि बेटा इस लकड़ी के गड्ढे को तोड़कर दिखाओ, फिर दूसरे बेटे से कहा कि इस लकड़ी के गड्ढे को तोड़कर दिखाओ

इस प्रकार उसमें अपने चारों बेटों को लकड़ी का गट्ठा दिया और उसे तोड़ने के लिए कहा, कोई भी बेटा लकड़ी के गड्ढे को नहीं तोड़ पाया उन्होंने तोड़ने की बहुत प्रयास किए परंतु असफल रहे

फिर किसान ने अपने बेटों को लकड़ी का गट्ठा खोला और एक एक लकड़ी दे दी और उनसे इस लकड़ी को तोड़ने के लिए कहा

किसान के चारों बेटों ने लकड़ी तोड़ दी इस को समझाते हुए किसान ने कहा बेटा लकड़ी का गट्ठा तुम में से कोई भी नहीं तोड़ पाया और एक अकेली लकड़ी को तुम सभी ने तोड़ दिया

इसके माध्यम से मैं तुम्हें यह समझाना चाहता हूं कि यदि तुम आपस में लड़ते झगड़ते रहोगे तो तुम्हें कोई भी नष्ट कर सकता है या तुम्हारा जीवन समाप्त कर सकता है

परंतु यदि तुम एकजुट होकर रहोगे तो तुम्हारा कोई भी बाल बांका नहीं कर सकता बिल्कुल उस लकड़ी के गट्टे की तरह, आप सभी को मिलजुल कर प्रेम पूर्वक रहना चाहिए और बुरे समय में एक दूसरे का सहारा बनना चाहिए जिससे तुम जीवन में बहुत अधिक सफल बनोगे और जीवन को प्रसन्नता से जी सकोगे|

सीख – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि एकता में बल होता है इसलिए हमें अपने दोस्तों रिश्तेदारों या भाइयों के साथ मिलजुल कर एकजुटता से प्रेम पूर्वक रहना चाहिए|