Pyasa kauwa ki kahani इस लेख में हम आपको प्यासे कौवा की कहानी बताने जा रहे हैं जिसके माध्यम से आप सीखेंगे की हमें जीवन में परिश्रम और प्रयत्न करना चाहिए तथा बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए
जिस प्रकार कौवा ने कठिन परिश्रम और प्रयत्न करके अपनी प्यास बुझाई है उसी प्रकार आप भी अपने जीवन में कठिन परिश्रम करके अपने बड़े से बड़े लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं परंतु आपको निरंतर परिश्रम और प्रयत्न करना होगा|
प्यासा कौवा की कहानी
प्राचीन समय की बात है दासपुर नाम के गांव के किनारे एक बहुत ही सुंदर और घना हरा भरा जंगल हुआ करता था उन दिनों बहुत ही गर्मी पड़ रही थी आसमान में सूरज मोती की तरह चमक रहा था पूरा गांव सूखे और पानी की कमी से बेहाल था इसी के साथ को भी प्रतिदिन जैसे तैसे करके पानी का इंतजाम कर लेता था|
परंतु गर्मी लगातार चलती रही और जंगल और गांव के क्षेत्र में पानी के छोटे-मोटे जल स्रोत सूख गए जिस कारण कौवा प्यास से बेहाल हो गया था परंतु कौवा पानी की तलाश में यहां वहां भटकता रहा दिन लगभग ढलने ही वाला था फिर कौवे ने थोड़ा आराम किया और दोबारा पानी की तलाश शुरू कर दी परंतु कहीं पर भी पानी नहीं मिला|
फिर जैसे ही कौवा निराश होकर जंगल की ओर वापस जा रहा था तो उसे एक घड़ा दिखाई दिया जिसके तले में थोड़ा सा पानी भरा हुआ था जैसे ही कौवा उस पानी के घड़े के पास गया तो उसने देखा कि पानी बहुत ही नीचे जा चुका है
कौवे ने उस पानी को पीने का प्रयत्न किया परंतु असफल रहा, फिर कव्वे ने उस पानी को पीने की योजना बनाई धीरे-धीरे फिर कव्वे ने सोचा कि क्यों ना मैं यह खास प्रकार के पत्थर पानी में डाल दो जिससे पानी ऊपर आ जाएगा और यह पत्थर पानी को नहीं सोखेंग
फिर कव्वे ने धीरे-धीरे करके बजरी की छोटी-छोटी कंकड़ी पानी में डालना शुरू किया पानी धीरे-धीरे देखते ही देखते थोड़ा ऊपर आ गया फिर कव्वे ने उसे पीने का प्रयत्न किया तो उसकी चोंच पानी तक पहुंच गई और उसने तपती गर्मी में ठंडा घड़े का पानी पिया और नीले आसमान में उड़ गया|
शिक्षा – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि हम किसी कार्य को करने की ठान लेते हैं और उस कार्य को करने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं तो हमें उस कार्य में सफलता जरूर मिलती है चाहे वह कार्य कितना भी कठिन क्यों ना हो|
- Bahadur chuha ki kahani
- khoi hui chabi ki kahani
- Tenali Rama ki kahani
- Murkh saras ki kahani
- Hathi aur chuha ki kahani
- Chiti aur tiida ki kahani |
- Murkh chor ki kahani
- Sone ke ande dene wali murgi ki kahani
- Bandar aur Magarmach ki kahani
- The farmer and the well story in hindi
- Lalchi lomdi ki kahani
प्यासा कौवा की कहानी इन हिंदी
एक बार की बात है, एक गर्मी के दिन में एक प्यासा कौवा खूबसूरत सरोवर के पास उड़ रहा था। सरोवर में मिठासी पानी था और कौवा उस पानी की लालसा में था।
वह बार-बार अपनी प्यास बुझाने के लिए नीचे उड़ जाता, लेकिन उसके छोंटे-छोंटे पंख पानी में डुबकी लगाने के लिए काफी छोटे थे, जिसके कारण वह पानी को पीने से असमर्थ था।
धीरे-धीरे कौवा निराश होने लगा और वह अपनी दुर्बलता के लिए खुद को दोष देने लगा। उसने सोचा, “मैं बहुत ही दुर्बल और छोटा पक्षी हूँ” मेरे पंख इतने छोटे हैं कि मैं अपनी प्यास नहीं बुझा सकता। मुझे लगता है मेरे पास एक और पंख होना चाहिए
एक दिन ऐसा ही हुआ। एक प्राणी ने जब उसे देखा, तो वह उसके पास आया और कहा, “अरे कौवा! तुम क्यों इतने निराश हो रहे हो?” कौवा ने अपनी समस्या सुनाई और कहा, “मुझे पानी पीने के लिए और एक पंख चाहिए, तभी मैं अपनी प्यास बुझा सकूँगा।”
प्राणी ने एक खजाने में से एक और पंख निकाला और कहा, “यह लो, अपनी मदद करने के लिए यह एक पंख ले जाओ।” कौवा ने बड़ी खुशी के साथ उस पंख को लिया और उसे जोड़ दिया। अब उसके पंख बड़े और मजबूत थे और वह प्यास बुझाने के लिए आसानी से पानी तक पहुंच सकता था।
फिर कौवा ने जी भरकर ठंडा ठंडा मीठा जल पिया और प्यास बुझाने के बाद अपने आप से कहा, “अब मैंने सीख लिया है कि दुःख और निराशा मेरे पास थे ही नहीं। इतने छोटे पंखों के बावजूद, भी मैंने ये कठिन कार्य को किया और अपनी प्यास बुझाई, परन्तु यह सब मेरे दृढ़ संकल्प और परिश्रम परिणाम है|
सीख – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि हम जीवन में किसी भी प्रकार से कम है या हमारे पास किसी कार्य को करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है फिर भी हम अपने लक्ष्य को पा सकते हैं
परंतु इसके लिए हमारे पास दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति होनी चाहिए और साथ ही उपयुक्त ज्ञान भी होना चाहिए जिस कारण हम कठिन परिश्रम का सहारा लेकर असंभव कार्य को भी संभव बना सकते|