Birbal ki khichdi ki kahani | बीरबल की खिचड़ी की कहानी

Birbal ki khichdi ki kahani, भारत में अकबर और बीरबल की कहानियां पुराने समय से ही प्रसिद्ध हैं आज के समय में अकबर बीरबल की कहानियां बहुत ही प्रसांगिक हैं|

इन कहानियों से हमें अनेक प्रकार की चीजें सीखने को मिलती हैं यह हमारी नैतिकता को भी बढ़ाती हैं और जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं तथा हमारे व्यक्तित्व को निखारने के साथ-साथ हमें सत्य अहिंसा परिश्रम दृढ़ निश्चय होने का पाठ पढ़ाती है|

बीरबल की खिचड़ी की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है अकबर बीरबल और कुछ साथी सर्दियों के दिनों में घूमने जा रहे थे तभी अकबर की नजर तालाब के ठंडे पानी पर पड़ी और कहा कि पानी बहुत ही ठंडा है बात करते हैं करते यहां तक पहुंच गई कि लोग बहुत कम पैसे के लिए कठिन से कठिन कार्य करने के लिए तैयार हो जाते हैं परंतु अकबर इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं था परंतु बीरबल ने कहा महाराज आपके राज्य में भी कुछ ऐसे लोग हैं जो कुछ पैसों के लिए कठिन से कठिन कार्य को भी कर सकते हैं

birbal ki khichdi ki kahani

अकबर ने कहा बीरबल यदि तुम ऐसा सोचते हो तो अपनी इस बात को सिद्ध करके दिखाइए अकबर कहते हैं किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढ कर लाओ जो सारी रात इस ठंडे पानी में खड़ा रहे तो मैं उसे इनाम में 10 सोने की अशर्फियां दूंगा

बीरबल सहमति व्यक्त करते हुए कहते हैं जी महाराज केवल 10 सोने की अशर्फी के लिए भी हमारे राज्य में कई लोग ऐसे हैं जो सारी रात इस ठंडे पानी में खड़े रह सकते हैं

फिर बीरबल घर की ओर निकल जाते हैं और अपने पढ़ो से एक ऐसे गरीब व्यक्ति को पकड़कर लाते हैं जो 10 सोने के सिक्कों के लिए उस ठंडे पानी में रात भर खड़े रहने के लिए तैयार हो जाता है शर्त के मुताबिक वह गरीब आदमी पूरी रात एक दीपक को देखते हुए समय व्यतीत करता है और सुबह हो जाती है यानी पूरी रात है उस ठंडे पानी में खड़ा रहता है

फिर अगले दिन दरबार में उस व्यक्ति को बुलाया जाता है और पूछा जाता है की रात कैसी रही वह व्यक्ति कहता है महाराज शुरू में तो बहुत मुश्किल था परंतु धीरे-धीरे मैंने एक दीपक को देखना शुरू किया जिसे देखते-देखते और भगवान का नाम लेते मेरा समय व्यतीत हो गया अकबर कहते हैं अच्छा तभी कहूं तुमने उस दीपक को देखकर उससे गर्मी ली है तभी तुम पूरी रात ठंडे पानी में खड़े रह सके हो

और फिर बाद में महाराज क्रोधित होते हैं और उसे बिना इनाम दिए दरबार से बाहर निकलवा देते हैं और कहते हैं मैं तुम्हें सजा नहीं दे रहा क्योंकि यह बहुत ही कठिन है इसलिए यहां से चुपचाप निकल जाओ

बीरबल यह सब देख रहे थे इस घटना के बाद बीरबल महाराज से घर जाने की अनुमति मांगते हैं परंतु अकबर कहते हैं की आज बहुत ही महत्वपूर्ण कार्यक्रम है तुम्हें जल्दी आना होगा और अनुमति दे देते हैं

बीरबल घर जाते हैं और उस गरीब और लाचार व्यक्ति को न्याय प्रदान करने की युक्ति सोचते हैं योजना के मुताबिक बीरबल 3 बड़े डंडो पर एक हंडिया लटका देते हैं और उसमें चावल डाल देते हैं तथा उसके बहुत ही नीचे बहुत कम आग जला देते हैं

कुछ समय पश्चात कार्यक्रम शुरू होने ही जा रहा था परंतु उससे पहले ही महाराज कहते हैं बीरबल कहां है उसे तुरंत बुलाया जाए सैनिक बीरबल को बुलाने उसके घर जाते हैं बीरबल कहता है मैं खिचड़ी बना रहा हूं जब तक यह खिचड़ी नहीं पकेगी मैं कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं होऊंगा

बहुत समय निकल जाता है महाराज क्रोधित होते हैं और वह खुद ही बीरबल के घर जाकर उसे बुलाकर लाने का निर्णय लेते हैं जैसे ही महाराज बीरबल के घर जाते हैं तो वे देखते हैं कि बीरबल ने बहुत ऊंचाई पर खिचड़ी पकाने के लिए लटकाई हुई है

महाराज क्रोधित होकर कहते हैं बीरबल यह क्या बचकानी हरकत कर रहे हो इतनी ऊंचाई पर है खिचड़ी कैसे पड़ सकती है तुमने हमारा पूरा समय व्यर्थ कर दिया और हमारा दिमाग भी खराब कर दिया

बीरबल मुस्कुराते हुए कहते हैं महाराज क्षमा कीजिए परंतु आपने उस गरीब व्यक्ति के साथ भी कुछ इसी प्रकार का निर्णय लिया है जिस प्रकार इतनी ऊंचाई पर यह खिचड़ी नहीं पढ़ सकती उसी प्रकार उस गरीब व्यक्ति को भी इतनी दूर जलते हुए दीपक से गर्मी नहीं मिल सकती

अकबर का सारा गुस्सा उतर जाता है और वे थोड़े मुस्कुराते हैं और कहते हैं बीरबल मुझे तुम पर गर्व होता है जब तक तुम मेरे राज्य में हो तुम किसी के साथ अन्याय नहीं होने दोगे फिर महाराज उस व्यक्ति को बुलाते हैं और उसे इनाम में 100 सोने के सिक्के देते हैं जिससे वह व्यक्ति बीरबल और महाराज का धन्यवाद करते हुए खुशी-खुशी घर लौटता है|

शिक्षा – इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें दूसरों के कठिन परिश्रम को जाने बिना उनके बारे में कोई निर्णय यहां राय नहीं बनानी चाहिए तथा बीरबल की तरह अपनी बुद्धि अनुभव का इस्तेमाल गरीब और असहाय लोगों की सहायता करने में करनी चाहिए