Hathi aur siyar ki kahani | हाथी और सियार की कहानी

Hathi aur siyar ki kahani, जैसा कि आप जानते हैं कि भारत जैसे देश में बच्चों को शिक्षा देने के लिए अनेक प्रकार की कहानियां सुनाई जाती हैं कहानी हमें बहुत ही अच्छी शिक्षा प्रदान करती हैं और हमें यह बता दी हैं कि हमें किसी भी अच्छी या बुरी सिचुएशन में किस प्रकार के निर्णय लेने सा चाहिए,

बचपन से ही हमारे बुजुर्ग हमारी दादी है दादा हमें कहानियों के माध्यम से सीख प्रदान करते आ रहे हैं इसलिए यह परंपरा आज भी जारी है आज किस आर्टिकल में हम आपको हाथी और सियार की कहानी बताने जा रहे हैं अगर आप इसे ध्यान पूर्वक पढ़ते हैं तो आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और आपकी नैतिकता में वृद्धि होगी|

हाथी और सियार की कहानी

बहुत ही प्राचीन समय की बात है एक बहुत ही घना जंगल था जिसमें एक सियार और अन्य जंगली जानवर रहा करते थे एक दिन जंगल में सियार भूखा प्यासा घूम रहा था उससे बहुत ही जोरों की भूख लग रही थी वह खाने के लिए शिकार की तलाश कर रहा था भोजन की तलाश में घूमते घूमते उसे एक बड़ा हाथी दिखता है जिसे देखकर सियार के मुंह में पानी आ जाता है और वह उसके स्वाद के बारे में सोचने लगता है सियार फिर उसके शिकार करने की नीति बनाने लगता है धीरे-धीरे सारी प्लानिंग कर लेता है|

hathi aur siyar ki kahani

कुछ समय बाद सियार हाथी के पास जाता है और कहता है कि हाथी जी आप बहुत बड़े हो और समझदार भी हो क्या आप इस जंगल का राजा बनना पसंद करेंगे यह बहुत ही अच्छा अवसर है कृपया ना मत कहना

कुछ देर सोचने के बाद हाथी हामी भर देता है और कहता है ठीक है मुझे क्या करना होगा सियार कहता है तुम मेरे साथ चलो राजा बनने से पहले तुम्हें स्नान करना होगा|

सियार हाथी को दलदल वाले तालाब में ले जाता है और कहता है तुम इसमें स्नान कर लो फिर धीरे-धीरे जैसे ही हाथी नहाने के लिए आगे बढ़ता है तो वह उस तालाब के दलदल में अंदर धंसने ने लग जाता है और हाथी बहुत ही निराश हो जाता है कहता है कि मैं तो इस दलदल में अंदर धंस रहा हूं मेरी मदद करो फिर से और हंसकर कहता है कि मूर्ख आती मैंने तुम्हारा शिकार करने के लिए यह जाल फैलाया था और तुम उसमें फंस गए|

हाथी बहुत ही मायूस हो जाता है और ईश्वर का नाम लेकर सब कुछ उन पर छोड़ देता है फिर सियार हाथी का शिकार करने और उसे खाने के लिए जैसे ही आगे बढ़ता है तो सियार भी उसे दलदल में फंस जाता है फिर धीरे-धीरे वे दोनों दलदल में फंसे रहते हैं|

दलदल के ऊपर एक पेड़ था जिस पर एक बाज बैठा था बाज यह सब देख रहा था उसे सारी कहानी समझ आ गई थी फिर बाज हाथी की सहायता करने के लिए सोचता है कुछ समय बाद बाज एक पतली सी रस्सी हाथी के पास छोड़ देता है और उस रस्सी को पेड़ से लपेटकर बांध देता है

हाथी रस्सी की सहायता से कुछ समय तक दलदल में फंसने से बच जाता है फिर हाथी के साथी दोस्त आते हैं और पेड़ को तोड़कर दलदल के किनारे डाल देते हैं जिसकी सहायता से हाथी दलदल से बाहर निकल जाता है और उसकी जान बच जाती है|

सीख – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि हम दूसरे के लिए गड्ढा खोदते हैं तो हम उसमे स्वयं गिरते हैं|