Do sir wala pakshi ki kahani जैसा कि आप जानते हैं की कहानी हमारे जीवन को एक अच्छी राह पर ले जाने का कार्य करती हैं क्योंकि हमें अनेक प्रकार की सामाजिक और नैतिक शिक्षा प्रदान करती हैं जिनके आधार पर हमारे सोचने की क्षमता की वृद्धि होती है और हम कठिन से कठिन परिस्थिति में भी अच्छा निर्णय ले पाते हैं आज के इस आर्टिकल में हम आपको दो सिर वाले पक्षी की कहानी बताने जा रहे हैं आशा करते हैं आपको यह कहानी पसंद है|
दो सिर वाले पक्षी की कहानी
बहुत ही प्राचीन समय की बात है एक घने जंगल में दो सिर वाला पक्षी रहा करता था अक्सर वे दोनों सिर खाने को लेकर झगड़ते रहते थे फिर एक दिन दोनों जंगल में घूम रहे होते हैं और उन्हें एक पेड़ के नीचे बड़ा सा फल बिकता है जिसे खाने के लिए वे झगड़ते हैं और कहते है उस पक्षी का पहला सिर कहता है कि इस फल का स्वाद में लूंगा और पक्षी का दूसरा फिर कहता है कि इस फल को मैं खाऊंगा
कुछ समय बाद उस पक्षी का एक सर बिना सलाह किए पूरा फल खा जाता है और दूसरे सिर से कहता है कि भले ही इस फल का स्वाद मैंने लिया है परंतु यह फल तुम्हारे भी पेट में गया है और इसकी संतुष्टि और तृप्ति तुम्हें भी मिली है
इस बात से दूसरे सिरको गुस्सा आ जाता है और वह मन ही मन इस बात का बदला लेने के लिए सोच लेता है और कहता है कि इस सिर को इसका सबक सिखाना पड़ेगा
कुछ समय बीत जाते हैं उस पक्षी के दोनों सिरों में झगड़ा चलता रहता है और अनबन रहती है फिर एक दिन वह जंगल में जा रहे होते हैं वह पक्षी के दूसरे सिर को एक जहरीला फल दिखता है और वह पक्षी मन ही मन सोचता है कि यह अच्छा अवसर है इस को सबक सिखाने का
पक्षी कब है दूसरा से मूर्खता का काम करते हुए उसे जहरीले फल को खा लेता है जिसके लिए वह पक्षी के दूसरे सिर से भी नहीं पूछता
जैसे ही पक्षी का दूसरा सिम जहरीला फल खाता है तो उन्हें शरीर में अजीब सा महसूस होने लगता है और धीरे-धीरे उनका दम घुटने लगता है
और कुछ समय बाद दो सिर वाला पक्षी तड़प तड़प कर मर जाता है इस प्रकार उस पक्षी के दूसरे सिर में मूर्खतापूर्ण कार्य कर अपने ही प्राण गवा दिए|
सीख – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि इस समाज में कई ऐसे कार्य होते हैं जिनका अकेले निर्णय लेना सही नहीं होता इसलिए हमें बिना सोचे समझे कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए यदि हम इस प्रकार के कार्य करते हैं तो उसकी सजा हमें भी भुगतनी पड़ सकती है|