10 lines on rani lakshmi bai in hindi : दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं की रानी लक्ष्मीबाई एक बहुत ही प्रसिद्ध और पवित्र पर्सनालिटी है जिसने भारत के सभी लोगों का दिल जीत लिया है ये एक ऐसी स्वतंत्रता सेनानी और वीरांगना थी जिन्होंने अंग्रेजों से एक पल के लिए भी हार स्वीकार नहीं की
और मरते दम तक अंग्रेजों से लड़ाई की यह ऐसी भारत की वीर पर्सनालिटी है जो आज भी कुछ लोगों के लिए ईश्वर स्वरूप है और कुछ लोग इन्हें अपना आदर्श मानते हैं इसके अतिरिक्त सभी लोगों के लिए यह बहुत बड़ा इंस्पिरेशन है
इसलिए आज के इस लेख में हम आपको रानी लक्ष्मीबाई से जुड़ी जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं जिसे पढ़कर या समझकर आप उनके बारे में और भी अधिक जान सकते हैं और उनके गुण और महत्व को अपने जीवन में उतरकर अपने भविष्य को भी सुनहरा कर सकते हैं
इसके अतिरिक्त आपकी कक्षा अध्यापक रानी लक्ष्मी बाई को के बारे में लिखने को दे देती है इसलिए आपकी सहायता के लिए यहां पर बहुत सारी इनफार्मेशन बहुत ही यूनीक way में मिलेगी जिसकी सहायता से आप अपना होमवर्क भी कर सकते हैं चलिए शुरू करते हैं इस आर्टिकल को|
- 19 नवंबर सन 1828 में वाराणसी नाम के नगर में रानी लक्ष्मी बाई का जन्म हुआ था
- इनकी माता जी का नाम भागीरथी सापरे था और इनके पिता का नाम मोरोपंत ताम्बे था
- लक्ष्मी बाई जी के बचपन का नाम मणिकर्णिका था और प्यार से इन्हें मनु कहते थे
- लक्ष्मी बाई जी को शास्त्रों के ज्ञान के साथ-साथ शास्त्रों का ज्ञान भी था
- ये अपने समय की बहुत अधिक तेजस्वी बलवान और वीर सेनानी थी
- भारत के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों में से रानी लक्ष्मी बाई का नाम भी पूरे सम्मान और श्रद्धा से लिया जाता है
- रानी लक्ष्मी बाई वीरांगना अभिमानी और स्वाभिमानी व्यक्तित्व की धनी थी
- लक्ष्मी बाई जी के दो पुत्र भी थे जो उन्होंने गोद लिए थे उनमें से एक का नाम आनंद राव और दूसरे का नाम दामोदर राव था
- रानी लक्ष्मी बाई जी के पति का नाम राजा गंगाधर राव नेवालकर था उनका विवाह सन 1842 में हुआ था
- लक्ष्मी बाई जी की अमर गाथा गाने के लिए सुभद्रा कुमारी चौहान जी ने उनके ऊपर एक कविता भी लिखी है जिसका नाम है “झांसी की रानी’
- तीरंदाजी घुड़सवारी तलवारबाजी अस्त्र-शास्त्र की विद्या में रानी लक्ष्मीबाई जी की विशेष रूचि थी
- आज के समय में यह अमर है और सभी लोग इन्हें झांसी की रानी का कर पुकारते हैं
- रानी लक्ष्मी बाई का नाम उन वीर सेनानियों में लिया जाता है जो इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से छपे हुए हैं|
- लक्ष्मी बाई की मृत्यु भारत की ग्वालियर शहर में लगभग 17 से 18 जून को सन 1858 में मात्र 29 वर्ष की आयु में ही हो गया था
- जानकारी के मुताबिक उनकी मृत्यु अंग्रेजों से लड़ाई करते हुए युद्ध में हुई थी
- रानी लक्ष्मी बाई एक ब्राह्मण थी और मराठा परिवार से संबंधित थी
- लक्ष्मी बाई जी का एक प्रसिद्ध नारा है जो है “मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी”
- लक्ष्मी बाई से हमें सीखने को मिलता है कि हमें जीवन में अपने कौशल, बहादुरी, साहस जैसे नैतिक मूल्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए
- मातृभूमि प्रेम और आत्म सम्मान उनके व्यक्तित्व को दर्शाता है जिसके सम्मान के लिए उन्होंने अपनी जान की परवाह भी नहीं की|